भगवान कृष्ण की पूजा कब और कैसे करें जानें पूरी विधि
जन्माष्टमी केवल एक उत्सव नहीं बल्कि आत्मा को प्रभु से जोड़ने का एक अद्भुत अवसर है आइए इस बार 16 अगस्त 2025 को श्री कृष्ण का जन्मोत्सव पूरी श्रद्धा से मनाएँ और जीवन को प्रेम भक्ति और शांति से भर दें

भगवान कृष्ण के जन्म का पावन पर्व जन्माष्टमी श्रद्धा भक्ति और उल्लास से परिपूर्ण है यह दिन न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है बल्कि आध्यात्मिक ऊर्जा से भी भरपूर है
जन्माष्टमी क्यों मनाई जाती है
श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद मास की अष्टमी तिथि को रात 12 बजे मथुरा की कारगाड़ी में हुआ था, जब भगवान विष्णु ने पृथ्वी की रक्षा के लिए पृथ्वी की रक्षा के लिए कृष्ण रूप में अवतार लिया था, उसी तिथि से उसी तिथि को कृष्णजन्माष्टमीके नाम से पूजा की गई थी
दिनांक 16 अगस्त 2025 (शनिवार)
अष्टमी तिथि प्रारंभ 16 अगस्त को सुबह 10:59 बजे से
अष्टमी तिथि समाप्त 17 अगस्त को दोपहर 12:32 बजे
निशिता पूजन समय 12:01 बजे से 12:45 बजे तक
जनमाष्टमी की पूजा विधि
व्रत रखें: इस दिन भक्त व्रत रखते हैं वे फलाहार करते हैं और पूरे दिन भगवान का स्मरण करते हैं
मंदिर सजाएँ अपने घर के मंदिर या पूजा स्थल को अच्छी तरह साफ़ करें उसे फूलों और रंगोली से सजाएँ
लड्डू गोपाल का श्रृंगार करें भगवान कृष्ण के बाल रूप की मूर्ति को स्नान कराएँ और उन्हें नए वस्त्र पहनाएँ उन्हें झूले में बिठाएँ

भगवान को पंचामृत से स्नान कराएँ।
उन्हें मक्खन और मिश्री का भोग लगाएँ।
तुलसी के पत्ते चढ़ाएँ और बांसुरी अर्पित करें।
दीप जलाएँ, धूप जलाएँ और श्रीकृष्ण जन्म की कथा पढ़ें या सुनें।
कृष्ण जन्माष्टमी पर जाने कृष्ण जन्म के महत्व
जन्माष्टमी का आध्यात्मिक महत्व
यह दिन हमें बताता है कि जब-जब धरती पर बुराई बढ़ती है भगवान किसी न किसी रूप में जन्म लेते हैं श्री कृष्ण के जीवन से हमें धर्म प्रेम नैतिकता और आत्मविश्वास का संदेश मिलता है
"कोई कैसा भी व्यक्ति हो, शुद्ध या अशुद्ध अवस्था में हो या किसी भी स्थान पर या किसी भी समय या किसी भी स्थिति में बिना किसी नियम भगवान के नाम का संकीर्तन और निरंतर उनका स्मरण करके लक्ष्य प्राप्त कर सकता है |" - कृपालु जी 🌸 pic.twitter.com/EzaWNIeuyU
— Krishna 𝐶𝑜𝑛𝑠𝑐𝑖𝑜𝑢𝑠𝑛𝑒𝑠𝑠 ✨️ (@KrishnaGlory) September 25, 2024