अन्ना भाऊ साठे जयंती 2025 जानें उनके जीवन और योगदान की कहानी
अण्णा भाऊ साठे जयंती हमें न केवल एक महान साहित्यकार को याद करने का अवसर देती है बल्कि उनके संघर्ष साहस और समाज सुधार के संदेश को अपनाने की प्रेरणा भी देती है। उनका जीवन इस बात का प्रमाण है कि सीमित संसाधनों के बावजूद यदि संकल्प दृढ़ हो तो व्यक्ति समाज में बड़ा बदलाव ला सकता है
भारत की सामाजिक और सांस्कृतिक विरासत में ऐसे अनेक व्यक्तित्व हुए हैं जिन्होंने अपनी लेखनी और विचारों से समाज में जागरूकता की मशाल जलाई अन्ना भाऊ साठे उन्हीं महान व्यक्तित्वों में से एक हैं वे न केवल एक क्रांतिकारी लेखक थे बल्कि एक समाज सुधारक लोकगायक और जननेता भी थे अन्ना भाऊ साठे जयंती हर साल महाराष्ट्र और देश के अन्य हिस्सों में बड़े सम्मान और उत्साह के साथ मनाई जाती है यह दिन उनके योगदान संघर्ष और विचारधारा को याद करने का एक अवसर है

अन्ना भाऊ साठे का जन्म 1 अगस्त 1920 को महाराष्ट्र के वतार गाँव सांगली में एक गरीब मातंग परिवार में हुआ था उनका असली नाम तुकादोजी साठे था लोग उन्हें प्यार से अन्ना भाऊ कहते थे आर्थिक तंगी के कारण उन्होंने औपचारिक शिक्षा प्राप्त नहीं की लेकिन जीवन के अनुभवों ने उन्हें एक सशक्त लेखक और लोक कलाकार बना दिया.
अन्ना भाऊ साठे ने अपनी लेखनी को केवल साहित्य तक ही सीमित नहीं रखा बल्कि इसे समाज परिवर्तन का हथियार बनाया उन्होंने जाति व्यवस्था भेदभाव और अन्याय के विरुद्ध आवाज़ उठाई
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साहित्यिक यात्रा
अन्ना भाऊ साठे ने एक मजदूर गायक कलाकार और बाद में एक लेखक के रूप में लंबा सफर तय किया उन्होंने लोक कला तमाशा और लावणी के माध्यम से आम लोगों तक अपनी पहुँच बनाई
उनकी रचनाओं में समाज के दलित वंचित और शोषित वर्गों का दर्द साफ़ झलकता है उन्होंने 35 से ज़्यादा उपन्यास 10 कहानी संग्रह और हज़ारों लावणियाँ और गीत लिखे
कल प्रख्यात साहित्यकार साहित्यरत्न अन्ना भाऊ साठे की जयंती थी।
— Sanjay Nirupam (@sanjaynirupam) August 2, 2025
उसी पवित्र अवसर पर उन्हें नमन करते हुए।#AnnaBhauSathe pic.twitter.com/rW7fGMY8Lk