
हरियाली तीज का अपने देश में बहुत महत्व है। खासकर राजस्थान में यह बहुत हर्षौल्लास से मनाई जाती है
अब की बार हरियाली तीज का व्रत 27 जुलाई को होगा। कहते है यह वर्त करने पर सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
आइए जानते है हरियाली तीज क्यों मनाई जाती है।
कहा जाता है कि माता पार्वती सैकड़ों वर्षों के पश्चात भगवान शिव से मिली थी ।
यह भी कहा जाता है कि माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए 107 बार जन्म लिया था
फिर भी माता पार्वती को भगवान शिव पति के रूप में नहीं मिले।
108 वि बार माता ने जनम लिया तब
सावन मास के शुक्ल पक्ष तृतीय को भगवान शिव माता पैरवी को पति के रूप में प्राप्त हुए।
तभी से इस व्रत की परम्परा प्रारंभ हुई ।
इस दिन स्त्रियां अपने हाथों ओर पैरों पर मेंहदी रचाती है। ओर बहुत सुंदर तैयार होकर यह वर्त करती है।
इस दिन महिलाएं कुल की बूढ़ी औरतों से आशीर्वाद लेती हैं
पूर्वी उत्तरप्रदेश में इसे कजली तीज के रूप में मनाया जाता है। यह त्यौहार बहुत उमंग और हर्षौल्लास से मनाया जाता है
आइए जानते है हरियाली तीज के व्रत के पूजन की विधि।
इस दिन निर्जला व्रत रख कर विधि पूर्वक पूजा करते हैं।
इस व्रत को करवा चौथ से भी कठिन बताया जाता है।
व्रत का संकल्प लेकर महिलाएं मा गोरी की चौकी सजाती है वो खुद भी सजती है।
हरियाली तीज के दिन स्त्रियां सोलह शृंगार करके व्रत करती हैं
महिलाएं शिव और पार्वती की 16 प्रकार की सामग्री से पूजा करती है
पूजा की सामग्री अर्पित करने के बाद दोनों की आरती उतारी जाती है।
नैवेद्य अर्पित करने के बाद स्त्रियां झूला झूलती हैं वे खुशियां मनाती हैं। इस दिन व्रत के साथ साथ
श्याम को कथा सुनी जाती है और महिलाएं मा गोरी से अपने पति की लंबी उमर की कामना करती है ।
इस दिन महिलाओं बिना भोजन वो बिना जल के दिन व्यतीत करती हैं वो सायं पूजन पूर्ण कर अपना व्रत खोलती हैं ।
तो इस प्रकार से है हरियाली तीज की पूजन विधि ।
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श्रावण मास में वन-उपवन-मन सब कुछ हरित होता है, और इसी बीच आती है हरियाली तीज। महादेव-माँ पार्वती से ले कर श्रीराधा-कृष्ण तक को प्रिय, लोकगीतों से ले कर फ़िल्मी गीतों तक 'सावन के झूले' से चिन्हित इस पर्व, हरियाली तीज की अनंत शुभकामनाएं... ईश्वर मंगल करें!🙏 pic.twitter.com/E3J8dTaaIm
— Dr Kumar Vishvas (@DrKumarVishwas) July 23, 2020