केरल के सबसे बड़े त्योहार ओणम को मनाने से पहले की जाती हैं ये तैयारियां

केरल के सबसे बड़े त्योहार ओणम को मनाने से पहले की जाती हैं ये तैयारियां

ओणम केरल का सबसे बड़ा और भव्य त्योहार है जिसे सभी वर्ग और समुदाय के लोग एक साथ मिलकर मनाते हैं। यह त्योहार राजा महाबली की वार्षिक वापसी और उनके आदर्श शासन की स्मृति में मनाया जाता है ओणम न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह केरल की सांस्कृतिक विरासत परंपरा कला संगीत और सामाजिक एकता का भी प्रतीक है इसे मनाने के लिए हर घर में कई तरह की तैयारियाँ की जाती हैं जो त्योहार से कई दिन पहले ही शुरू हो जाती हैं आइए विस्तार से जानते हैं कि ओणम मनाने के लिए क्या-क्या तैयारियाँ की जाती हैं

ओम की गृहस्थी घर की पूरी सफाई से शुरू होती है>

घर के हर कोने की सफाई की जाती है दीवारों पर सफेदी या रंग-रोगन किया जाता है।

दरवाज़ों और तारों को रंग-बिरंगी सजावट से सजाया जाता है

पारंपरिक दीये केले के पत्ते और फूलों की झालरें सजावट में अहम भूमिका निभाती हैं।

ऐसा माना जाता है कि राजा महाबली का स्वागत साफ़-सुथरे और सुंदर घर में किया जाना चाहिए।

ओणम की सबसे खास और आकर्षक सजावट पूकलम है>

यह रंग-बिरंगे फूलों से बनी जनवरी की एक बड़ी रंगोली होती है।

त्योहार के पहले दिन से लेकर आखिरी दिन तक हर दिन पूकलम में नए चित्र और फूल जोड़े जाते हैं

इसमें गेंदा चंपा ओलियंडर गुलाब और अन्य फूलों का इस्तेमाल किया जाता है।

पूकलम का हर रंग एकता खुशी और प्रेम का प्रतीक है

ओणम पर सभी लोग नए कपड़े पहनते हैं जिसमें ओनाक्कोडी भी शामिल है।

महिलाएँ पारंपरिक केरल कसावु पालकी पहनती हैं।

पुरुष स्टाइलिश मुंडू और सफ़ेद या मध्यम किनारे वाली कमीज़ पहनते हैं।

बच्चों को भी नए कपड़े पहनाए जाते हैं

यह परंपरा न केवल त्योहार की सुंदरता बढ़ाती है बल्कि नवीनता और शुभता का भी प्रतीक है

केरल के सबसे बड़े त्योहार ओणम
PHOTO BY-FREEPIK

त्योहार से पहले बाज़ारों में भीड़ उमड़ पड़ती है>

लोग फूल मिठाइयाँ फल सजावटी सामान नए कपड़े और घरेलू सामान खरीदते हैं।

पारंपरिक हस्तशिल्प और सजावटी सामान भी बड़ी संख्या में बिकते हैं

कई जगहों पर मेले लगते हैं जहाँ बच्चों और बड़ों के लिए झूले खेल और खाने-पीने की दुकानें लगती हैं

राजा महाबली का स्वागत>
प्रचलित मान्यता के अनुसार ओणम के दिनराजा महाबलीपाताल लोक से अपनी प्रजा से मिलने आते हैं

इसलिए हर घर में उनके स्वागत की तैयारियाँ की जाती हैं >

प्रवेश द्वार पर पूक्कलम बनाया जाता है।

दीप जलाकर वातावरण को पवित्र और शुभ बनाया जाता है।

घर के बड़े-बुजुर्ग पूजा करते हैं और राजा महाबली के सम्मान में गीत गाए जाते हैं।

आधुनिक समय में भी ओणम की तैयारियाँ प्रकृति पर विशेष ध्यान देते हुए की जाती हैं।

पुक्कलम में ताज़े फूलों भोज में मौसमी सब्जियों और केले के पत्तों का उपयोग पर्यावरण के अनुकूल है

कई लोग स्थानीय किसानों और फूल विक्रेताओं से खरीदारी करते हैं, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलता है

ओणम की तैयारियाँ सिर्फ़ एक उत्सव तक सीमित नहीं हैं बल्कि ये केरल की आत्मा उसकी संस्कृति और समाज की एकता को दर्शाती हैं। घर की सफ़ाई पूक्कलम ओणक्कोडी भव्य ओणसध्या सांस्कृतिक कार्यक्रम खेल ख़रीदारी और राजा महाबली के स्वागत की रस्में >ये सब मिलकर इस त्योहार को इतना भव्य और ख़ास बनाते हैं। इन तैयारियों में शामिल हर व्यक्ति चाहे वो बच्चा हो या बुज़ुर्ग, अपने-अपने तरीक़े से योगदान देता है और यही वजह है कि ओणम सिर्फ़ एक त्योहार नहीं बल्कि जीवन का एक रंगीन उत्सव बन जाता है

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