पोला महोत्सव किसानों और बैलों के बीच अटूट रिश्ते का अनूठा त्योहार
भारत की संस्कृति और परंपराएँ अपनी विविधता के लिए जानी जाती हैं यहाँ हर त्योहार के पीछे एक गहरा अर्थ और सामाजिक संदेश छिपा है इन्हीं में से एक है पोला त्योहार जो खासकर महाराष्ट्र मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के ग्रामीण इलाकों में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है यह त्योहार किसानों और उनके सबसे बड़े साथी बैलों को समर्पित है

पोला एक पारंपरिक ग्रामीण त्योहार है जिसमें किसान अपने बैलों की पूजा करते हैं कृषि कार्यों में बैलों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है—हल चलाना जुताई करना अनाज ढोना और कई अन्य कठिन कार्य जो बैल वर्षों से करते आ रहे हैं पोला के दिन किसान अपने बैलों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हैं और उनकी देखभाल सजावट और पूजा करते हैं
पोला त्यौहार की तैयारी>
पोला से कुछ दिन पहले, किसान अपने बैलों को अच्छी तरह नहलाते हैं उनके सींगों को रंगों से सजाते हैं उनके गले में नई घंटियाँ डालते हैं और उन्हें रंग-बिरंगे कपड़े पहनाते हैं बैलों की पीठ पर सुंदर डिज़ाइन बनाए जाते हैं और उनके पैरों में रंग-बिरंगे घुंघरू बाँधे जाते हैं
स्नान और सजावट बैलों को सुबह-सुबह स्नान कराया जाता है।
सजावट – बैलों को फूलों रंग-बिरंगे कपड़ों रंगों और आभूषणों से सजाया जाता है
पूजा – बैलों के सामने एक थाली में चावल रोली हल्दी फूल और मिठाई रखकर उनकी पूजा की जाती है
आरती – किसान परिवार बैलों की आरती करते हैं और उन्हें मिठाई खिलाते हैं
शोभा यात्रा – कुछ स्थानों पर बैलों की परेड होती है जिसमें लोग ढोल-नगाड़ों के साथ भाग लेते हैं
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पोला कब मनाया जाता है>
यह त्यौहार आमतौर पर भाद्रपद अमावस्या को मनाया जाता है जो अगस्त या सितंबर में आती है इस समय खेतों में खरीफ की फसल लहलहा रही होती है और किसान थोड़ी राहत महसूस करते हैं यह बैलों के आराम और देखभाल का भी समय होता है
यह त्यौहार आमतौर पर भाद्रपद अमावस्या को मनाया जाता है जो अगस्त या सितंबर में पड़ती है इस समय खेतों में खरीफ की फसलें लहलहा रही होती हैं और किसान थोड़ी राहत महसूस करते हैं यह बैलों के आराम और देखभाल का भी समय होता है

पोला कहाँ मनाया जाता है>
महाराष्ट्र – यह त्यौहार विशेष रूप से विदर्भ क्षेत्र में सबसे अधिक लोकप्रिय है
मध्य प्रदेश – ग्रामीण क्षेत्रों में बैलों को सजाया जाता है और जुलूस निकाले जाते हैं
छत्तीसगढ़ – यहाँ हर गाँव में पशु पूजा और मेले का आयोजन किया जाता है
आधुनिक समय में पोला का रूप>
हालांकि मशीनों ने खेती में बैलों की जगह ले ली है लेकिन ग्रामीण भारत में आज भी पोला त्योहार उतनी ही श्रद्धा और उत्साह से मनाया जाता है यह न केवल परंपरा को जीवित रखता है बल्कि नई पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़ने का काम करता है
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भारत की कृषि प्रधान संस्कृति में पोला पर्व का विशिष्ट महत्व है। आज के दिन हमारे किसान भाई-बहन पशुधन व कृषि से संबंधित उपकरणों को सजाकर उनकी पूजा करते हैं।
— Amit Shah (@AmitShah) August 27, 2022
मुझे भी आज रायपुर में पोला लोकपर्व के पवित्र अवसर पर गौवंश की पूजा करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। pic.twitter.com/7DwmYzZ41b