जानिए क्यों इतना चमत्कारी है एकादशी व्रत >
एकादशी व्रत मुख्य रूप से भगवान विष्णु की पूजा के लिए रखा जाता है। शास्त्रों में वर्णित है कि इस दिन व्रत रखने से व्यक्ति के जीवन के पाप नष्ट हो जाते हैं और वह पुण्य का भागी बनता है। पद्म पुराण स्कंद पुराण और विष्णु पुराण में एकादशी व्रत के फल और महत्व का विस्तार से वर्णन किया गया है। मान्यता है कि जो कोई भी व्यक्ति भक्ति भाव से एकादशी व्रत रखता है
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार एक समय भगवान विष्णु राक्षस मुर का वध करने के लिए योगनिद्रा में लीन हो गए। तभी भगवान के शरीर से एक तेजस्वी स्त्री प्रकट हुई जिसने राक्षस मुर का वध कर दिया जब भगवान विष्णु योगनिद्रा से जागे तो वे उस स्त्री पर प्रसन्न हुए और उससे वरदान मांगने को कहा उसने कहा कि जो कोई भी एकादशी का व्रत करेगा उसे पुण्य की प्राप्ति होगी। तभी से उस तिथि का नाम एकादशी पड़ा

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हिंदू धर्म में व्रत और त्योहारों का विशेष स्थान है जिनमें से एकादशी व्रत का धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से बहुत महत्व है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है और प्रत्येक हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक माह के दोनों पक्षों की एकादशी तिथि को मनाया जाता है – अर्थात प्रत्येक माह में दो बार और वर्ष में कुल 24 एकादशी होती हैं (अधिक मास होने पर इनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है)। यह व्रत आत्मशुद्धि पापों का नाश और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग है।
हिंदू पंचांग के अनुसार एक वर्ष में कुल 24 एकादशी होती हैं>
> निर्जला एकादशी- सबसे कठिन व्रत इसमें पानी भी नहीं पिया जाता
> वैष्णव एकादशी- वैष्णव सम्प्रदाय में विशेष महत्व
> पुत्रदा एकादशी- संतान प्राप्ति की कामना के लिए
>कामदा एकादशी- मनोकामना पूर्ति के लिए
योगिनी एकादशी – पापों के नाश के लिए
> देवशयनी एकादशी – चातुर्मास की शुरुआत
>देवउठनी एकादशी – तुलसी विवाह और शुभ कार्यों की शुरुआत

एकादशी व्रत के लाभ >
1.शारीरिक शुद्धि – उपवास शरीर को शुद्ध करने में मदद करता है।
2.मानसिक शांति – ध्यान पूजा और भक्ति मन को शांति प्रदान करते हैं।
3.आध्यात्मिक उन्नति – भगवान विष्णु की कृपा से आत्मा को शुद्धि और मोक्ष प्राप्त होता है।
4.पापों का नाश – शास्त्रों के अनुसार एकादशी व्रत करने से पूर्व जन्मों के पाप भी नष्ट हो जाते हैं।
5.मोक्ष प्राप्ति – यह व्रत मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करता है।
यह व्रत न केवल मानसिक और आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करता है बल्कि व्यक्ति के कर्मों को भी निखारता है। यदि एकादशी व्रत नियमित रूप से और श्रद्धापूर्वक किया जाए तो जीवन में शांति सफलता और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
सनातन हिन्दू वैदिक धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्त्व है। यद्यपि प्रत्येक एकादशी की अपनी विशिष्ट महिमा और फल है, तथापि ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी, जिसे "निर्जला एकादशी" कहा जाता है, विशेष रूप से भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है। शास्त्रों में वर्णित है -
— Swami Avdheshanand (@AvdheshanandG) June 6, 2025
“वृषस्थे मिथुनस्थेऽर्के… pic.twitter.com/tc0xebOrIN