Dhadak 2 यह एक ऐसी कहानी है जो दिल से नहीं साहस से जुड़ी है

धड़क 2 एक ऐसी प्रेम कहानी है जो सिर्फ़ दो दिलों के मिलन की कहानी नहीं है बल्कि भारतीय समाज में गहरे छिपे जातिवाद की कड़वी सच्चाई को भी बयां करती है। फिल्म की कहानी नीलेश (सिद्धांत चतुर्वेदी) की है, जो एक मेहनती गरीब दलित छात्र है और लॉ कॉलेज में पढ़ता है। दूसरी तरफ़ विद्या (तृप्ति डिमरी) है जो एक प्रभावशाली उच्च जाति के परिवार से ताल्लुक रखती है।

दोनों कॉलेज में मिलते हैं और समय के साथ उनका रिश्ता और भी मज़बूत होता जाता है। लेकिन जैसे-जैसे उनका प्यार बढ़ता है जातिगत भेदभाव सामाजिक दबाव और पारिवारिक अपमान की दीवारें आड़े आती हैं।

फिल्म का मुख्य विषय यह है> क्या प्यार ही काफी है जब समाज ही रिश्ते को स्वीकार न करे

Dhadak 2
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Dhadak 2 की खुबिया >

1 शानदार अभिनय (खासकर सिद्धांत और तृप्ति)

2 सामाजिक संदेश के साथ भावनात्मक गहराई

3 यथार्थवादी संवाद और दृश्य

सिद्धांत ने ‘नीलेश’ की भूमिका में ज़बरदस्त ईमानदारी और संवेदनशीलता दिखाई है। उन्होंने एक दलित छात्र के दर्द उसके आत्मसम्मान और आंतरिक टूटन की भावनाओं को बेहद जीवंत ढंग से चित्रित किया है।

तृप्ति का अभिनय इस फिल्म की जान है। विदी का किरदार शुरुआत में नाज़ुक लगता है लेकिन जैसे-जैसे वह अपने प्यार और सामाजिक अन्याय के बीच फँसती है वह और भी मज़बूत होती जाती है। तृप्ति की आँखें और हाव-भाव हर फ्रेम में बोलते हैं।

फ़िल्म का संगीत धड़क (2018) जितना प्रभावशाली नहीं है। हालाँकि बैकग्राउंड स्कोर काफी अच्छा है और दृश्यों में गहराई जोड़ता है सिनेमैटोग्राफी (कैमरा वर्क) ग्रामीण इलाकों कॉलेज कैंपस और पारिवारिक तनाव को खूबसूरती से कैद करती है

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dhadak 21 ,
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निदेशक >शाज़िया इक़बाल
कलाकार > सिद्धांत चतुवेर्दी, तृप्ति डिमरी, दीक्षा जोशी
रिलीज की तारीख > 1 अगस्त 2025

शाज़िया इक़बाल का निर्देशन इस फ़िल्म को गहराई और ईमानदारी देता है। उन्होंने जातिवाद जैसे संवेदनशील मुद्दे को बेहद संतुलित और सम्मान के साथ पेश किया है। फ़िल्म के अहम संवाद जैसे नीलेश के आत्मसम्मान को ठेस पहुँचाने वाला संवाद दर्शकों को सोचने पर मजबूर कर देते हैं।

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